देवगढ़ में यक्ष-यक्षियों, इन्द्र-इन्द्राणियों और प्रतीकात्मक देवताओं की मूर्तियाँ अगणित संख्या में यौवन का सर्वांग सौष्ठव वाला उभार तो है पर खजुराहो जैसी यौवन की उन्मत्ता नहीं।
2.
देवगढ़ में यक्ष-यक्षियों, इन्द्र-इन्द्राणियों और प्रतीकात्मक देवताओं की मूर्तियाँ अगणित संख्या में यौवन का सर्वांग सौष्ठव वाला उभार तो है पर खजुराहो जैसी यौवन की उन्मत्ता नहीं।
3.
कवि किसानों की साधनहीनता, विवशता और शोषण से मुक्ति के लिए संघर्ष की चेतना को किसान की लहलहाती फसलों के द्वारा प्रकट करता है-आर-पार चौड़े खेतों में चारों ओर दिशाएं घेरे लाखों की अगणित संख्या में ऊँचा गेहूँ डटा खड़ा है।